- बस्तर में माटी तिहार, जिसे बीज पंडुम भी कहा जाता है,एक ऐसा त्योहार है जो चैत्र महीने में मिट्टी की पूजा कर अच्छी फसल के लिए ऊपर वाले को धन्यवाद देने के रूप में मनाया जाता है।
यह पर्व चैत्र महीने में मनाया जाने वाला एक दिवसीय पर्व है, जिसे अलग-अलग गांवों में अपनी मर्जी से अलग-अलग दिन में मनाया जाता है, जिसे गांव के गायता, पुजारी एवं समुदाय के लोग मिलकर तय करते हैं.
यह पर्व मिट्टी के प्रति सम्मान और धरती माता को धन्यवाद देने का प्रतीक है, क्योंकि आदिवासी समुदाय की अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर है.
माटी तिहार का इतिहास:
बस्तर में माटी तिहार की परंपरा सदियों पुरानी है और यह आदिवासी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
यह पर्व मिट्टी की पूजा और अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है.
बस्तर में माटी तिहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि माटी टी आर (मध्य बस्तर) और बीजा पंडुम (दक्षिण बस्तर) में.
गांव के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं, चंदा इकट्ठा करते हैं और पूजा स्थल पर विभिन्न वस्तुओं का दान करते हैं.
इस पर्व में मिट्टी से संबंधित कोई भी काम नहीं किया जाता है और अगर कोई ऐसा करता है तो उसे समुदाय द्वारा दंडित किया जाता है.
माटी तिहार का आयोजन गांव के गायता, पुजारी और समुदाय के लोगों द्वारा मिलकर किया जाता है.
माटी तिहार आदिवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है क्योंकि यह उनके जीवन और अर्थव्यवस्था के लिए मिट्टी के महत्व को दर्शाता है.
आदिवासियों की माटी पूजा:
बस्तर में होती है ‘माटी पूजा, एक-दूसरे पर लगाते हैं मिट्टी …
अलग-अलग नाम भी हैं माटी पूजा के बस्तर में माटी पूजा को अलग-अळग नामों से बुलाया जाता है. मसलन- मध्य बस्तर में माटी टी आर और दक्षिण बस्तर में बीजा पांडुम. ज्यादातर ये त्योहार अप्रैल-मई में ही मनाया जाता है.